THE BASIC PRINCIPLES OF SIDH KUNJIKA

The Basic Principles Of sidh kunjika

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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः

इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे। अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।

पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥ ४ ॥

देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः

देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः

इस पाठ के करने से अष्टसिद्धियां प्राप्त होती हैं.

ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ।

श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः

And the panic of not staying is born in that Room. But in meditation, when This can be understood, the intellect can enter into a dimension of Area where by motion is inaction. We do not know what like is, for within the House created by believed all-around by itself given that the me, enjoy is the conflict with the me and also the not-me. This conflict, this torture, is not really really like. Assumed may be the pretty denial of love, and it simply cannot enter into that Area wherever the me isn't. In that Place would be the benediction which man seeks and cannot come across. He seeks it within the frontiers of imagined, and assumed destroys the ecstasy of this benediction."

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ परम कल्याणकारी है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र आपके जीवन की समस्याओं और विघ्नों को दूर करने के लिए एक शक्तिशाली उपाय है। मां दुर्गा के इस स्तोत्र का जो मनुष्य विषम परिस्थितियों में वाचन करता है, उसके समस्त कष्टों का अंत होता है। प्रस्तुत है श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र। सिद्ध click here कुंजिका स्तोत्र के लाभ

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